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Monday, January 15, 2018

Unexplored Banswara

Posted by Kamlesh Sharma at 1:07 AM No comments:
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Kamlesh Sharma
बचपन में बाल भारती, चंपक और चंदामामा पढता था। पूजा दौरान नियमित हनुमान चालिसा के पाठ ने सामर्थ्‍य प्रदान किया। बडे हुए तो अखबार पढने लगे। पढ़ते पढ़ते लगा कि कुछ लिखा जा सकता है तो एक साप्‍ताहिक अखबार से हाथ आजमाया। बस लेखन का सिलसिला प्रारंभ हुआ तो कई दैनिक अखबारों और कादंबिनी जैसी मैगजीन ने भी हौसला अफजाई की। विदयालय छोड़ते ही सरकारी नौकरी में आ गया और बच्‍चों को पढ़ाने के साथ साथ लेखन भी सुधरा, तब सोचा चलो पञकारिता का औपचारिक अध्‍ययन हो जाए। इस अध्‍ययन के बाद तो एक ऐसा अवसर मिला कि तब से आज तक राजसेवक के रूप में ही पञकारिता जगत को सेवाएं दे रहा हूं। यह ब्‍लॉग आसपास की हलचलों, स्‍वान्‍त सुखाय सृजन और मन को शांति देने वाली वाणी को परोसने का माध्‍यम बस है।
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